जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज को 14 जनवरी, 1957 को काशी विद्वत् परिषद् द्वारा जगद्गुरूत्तम की उपाधि प्रदान की गयी।
वेदों से लेकर रामायण तक, सारे ग्रन्थ कहते हैं कि वास्तविक गुरु से बड़ा कोई तत्व नहीं होता। भगवान् को प्राप्त कर चुका सच्चा गुरु ही मनुष्य को हर प्रकार का ज्ञान देकर, उसे सब दुःखों से मुक्त कर सकता है और भगवान् से मिलाकर सदा-सदा के लिए उसे आनंद प्रदान कर सकता है।